कोविड-19 महामारी ने भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की गंभीर समस्याओं को उजागर किया है और बताया है कि यह महामारी किस हद तक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर संकट उत्पन्न कर सकती है। जहां स्वास्थ्य के मायने शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण है, वहीं सार्वजनिक स्वास्थ्य का अर्थ ऐसे उपाय हैं जो समाज या राज्य के स्तर पर स्वास्थ्य को बरकरार रखते हैं। [1] भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य और साफ-सफाई की जिम्मेदारी राज्यों की होती है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य क्षेत्र की समूची नीति को निर्धारित करता है। वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और देश की स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों से संबंधित योजनाओं को लागू भी करता है। वह सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों और बुनियादी ढांचे को संचालित करने और मातृ स्वास्थ्य और पोषण जैसे विशिष्ट विषयों पर काम करने के लिए राज्यों को प्रशासनिक और वित्तीय सहायता प्रदान करता है। वह राष्ट्रीय महत्व के चिकित्सा संस्थानों जैसे एम्स के साथ-साथ दिल्ली सहित केंद्र शासित प्रदेशों में प्रतिष्ठानों की स्थापना और संचालन भी करता है।
मंत्रालय में दो विभाग हैं: (i) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने और चिकित्सा शिक्षा को रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है, और (ii) स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, जो चिकित्सा अनुसंधान करने के लिए जिम्मेदार है। [2] स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का संचालन करता है जिसे मंत्रालय के बजट का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है और इसमें स्वास्थ्य संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए राज्यों को धन का हस्तांतरण शामिल है। राज्यों को किए जाने वाले अन्य हस्तांतरणों में मानव संसाधन, चिकित्सा शिक्षा और कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए धनराशि शामिल है। राज्यों को किए जाने वाले हस्तांतरणों में 15वें वित्त आयोग के सुझावों के मुताबिक हुए हस्तांतरण भी शामिल हैं (प्राथमिक स्वास्थ्य संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा)।
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित समस्याओं में से एक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में कम निवेश रहा है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर पर्याप्त नहीं, जिसमें मानव संसाधन की कमी भी शामिल है। इसके अलावा प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार की गति भी धीमी है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ने लोगों को निजी स्वास्थ्य सेवाओं का अधिक उपयोग करने के लिए बाध्य किया है, और इससे नागरिकों पर वित्तीय बोझ बढ़ा है। यह नोट भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में वित्तपोषण के प्रमुख मुद्दों के साथ-साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बजट की समीक्षा करता है।
वित्तीय विवरण
2023-24 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को 89,155 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। [3] यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 13% की वृद्धि है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को मंत्रालय के आवंटन का 97% हिस्सा मिला है जोकि 86,175 करोड़ रुपए है, जबकि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग को 2,980 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
तालिका 1: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए बजट आवंटन (करोड़ रुपए में)
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2021-22 वास्तविक |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
22-23 संअ से 23-24 बअ में परिवर्तन का % |
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण |
81,780 |
76,370 |
86,175 |
12.8% |
स्वास्थ्य अनुसंधान |
2,691 |
2,775 |
2,980 |
7.4% |
कुल |
84,470 |
79,145 |
89,155 |
12.6% |
नोट: बअ - बजट अनुमान; संअ - संशोधित अनुमान।
स्रोत: मांग संख्या 46 और 47, व्यय बजट 2022-23; पीआरएस।
2012-13 और 2023-24 के बीच स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए आवंटन 12% की वार्षिक औसत दर से बढ़ा है। आवंटन 2012-13 में 25,133 करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 86,175 करोड़ रुपए हो गया (रेखाचित्र 1 देखें)।
रेखाचित्र 1: पिछले वर्षों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आवंटन के रुझान
नोट: बअ - बजट अनुमान; संअ - संशोधित अनुमान; 2023-24 के लिए, आवंटन में % परिवर्तन 2022-23 संशोधित अनुमान की तुलना में 2023-24 बजट अनुमान है।
स्रोत: केंद्रीय बजट, 2006-07 से 2021-22; पीआरएस।
2023-24 में मंत्रालय के बजट का 33% राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटित किया गया है (तालिका 2 देखें)। इसके बाद रेगुलेटरी और स्वायत्त निकायों को सबसे ज्यादा 19% आवंटन किया गया है जोकि 17,323 करोड़ रुपए है। बीमा योजना, पीएमजेएवाई के लिए आवंटन 7,200 करोड़ रुपए अनुमानित है जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 12% अधिक है।
पीएम एबीएचआईएम के लिए आवंटन, जो प्राथमिक स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने का प्रयास करता है, 2022-23 के संशोधित चरण में 1,885 करोड़ रुपए था, जो 2023-24 के बजट अनुमान में बढ़कर 4,200 करोड़ रुपए हो गया (123% की वृद्धि)। पीएमएसएसवाई नए एम्स की स्थापना और राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों के अपग्रेडेशन की योजना है। पीएमएसएसवाई के लिए 2023-24 बजट अनुमान में 3,365 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इसके अलावा नए एम्स के लिए एक मद बनाई गई है जिसके तहत 6,835 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इन्हें मिलाकर कुल 10,200 करोड़ रुपए होते हैं। यह 2022,23 (8,270 करोड़ रुपए) के संशोधित अनुमानों से 23% अधिक है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत कोविड-19 से संबंधित उपायों पर खर्च 2021-22 के 16,445 करोड़ रुपए से घटाकर 2023-24 बजट अनुमान में 497 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
तालिका 2: व्यय की मुख्य मदें (करोड़ रुपए में)
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2021-22 वास्तविक |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
22-23 संअ से 23-24 बअ में परिवर्तन का % |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (कुल) |
27,448 |
28,974 |
29,085 |
0% |
एम्स, पीजीआईएमईआर, जिमपर और अन्य स्वायत्त निकाय |
8,459 |
10,348 |
17,323 |
67% |
पीएमजेएवाई |
3,116 |
6,412 |
7,200 |
12% |
नया एम्स |
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|
6,835 |
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पीएम एबीएचआईएम |
761 |
2,167 |
4,846 |
124% |
पीएमएसएसवाई |
9,270 |
8,270 |
3,365 |
-59% |
सीजीएचएस |
2,741 |
4,640 |
3,846 |
-17% |
राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम |
2,126 |
2,182 |
3,080 |
41% |
आईसीएमआर |
1,841 |
2,117 |
2,360 |
11% |
परिवार कल्याण योजनाएं |
300 |
474 |
517 |
9% |
कोविड-19 |
16,445 |
228 |
497 |
118% |
राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन |
28 |
140 |
341 |
144% |
अन्य |
11,936 |
13,193 |
16,696 |
27% |
कुल |
84,470 |
79,145 |
89,155 |
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नोट: कोविड पर व्यय में कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया के दोनों चरण, स्वास्थ्य देखभाल और फ्रंटलाइन वर्कर्स के वैक्सीनेशन, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा, और कोविड-19 टेस्टिंग किट्स की खरीद के लिए आवंटन शामिल है; बअ - बजट अनुमान; संअ- संशोधित अनुमान; एम्स - अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (नई दिल्ली); आईसीएमआर - भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद; सीजीएचएस - केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना; पीएमजेएवाई - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना; पीएमएसएसवाई - प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना; पीएम एबीएचआईएम- प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन।
स्रोत: मांग संख्या 46 और 47, व्यय बजट 2023-24; पीआरएस।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (पीएमएसएसएन) और स्वास्थ्य और शिक्षा सेस
2018-19 में आय पर 4% स्वास्थ्य और शिक्षा सेस पेश किया गया था। वर्ष 2018-19 और 2019-20 की रिपोर्ट में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने गौर किया था कि हालांकि यह सेस बनाया गया, लेकिन इस राशि को स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित करने के सिद्धांतों को निर्दिष्ट नहीं किया गया और इस उद्देश्य से धन प्राप्त करने के लिए कोई समर्पित फंड भी नहीं बनाया गया। [4] , [5]
2021-22 से इस सेस से जमा धनराशि को प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (पीएमएसएसएन) में जमा किया जाता है। यह एक डेडिकेटेड नॉन रिफंडेबल फंड है। [6]
2023-24 में 14,589 करोड़ रुपए पीएमएसएसएन (सेस जमा करने से प्राप्त) में हस्तांतरण किए जाएंगे। यह 2022-23 के संशोधित चरण में हस्तांतरित राशि से 29% कम है। हालांकि इसी अवधि में सेस के तहत जमा राशि में 19% की वृद्धि (69,063 करोड़ रुपए) होने का अनुमान है। [7] पीएमएसएसएन के फंड को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और पीएमजेएवाई पर खर्च किया जाएगा। [8]
वित्त मंत्रालय ने कहा था कि इस सेस के माध्यम से एकत्रित धन का 25% हिस्सा स्वास्थ्य योजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा। [9] 2023-24 में पीएमएसएसएन को हस्तांतरित की जाने वाली अनुमानित राशि सेस (2,677 करोड़ रुपए) से होने वाली कुल प्राप्तियों के 25% से कम है। हालांकि 2022-23 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, पीएमएसएसएन को हस्तांतरित की गई राशि उस वर्ष सेस संग्रह के 25% हिस्से से अधिक है।
रेखाचित्र 2: स्वास्थ्य और शिक्षा सेस की प्राप्तियां (इनका 25% स्वास्थ्य योजनाओं के लिए उपयोग किया जाता है) और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन (पीएमएसएसएन के तहत) (करोड़ रुपए में)
स्रोत: कर राजस्व, प्राप्ति बजट 2023-24; मांग संख्या 46, व्यय बजट 2023-24; पीआरएस।
विचारणीय मुद्दे
आवंटन स्वास्थ्य नीति के लक्ष्यों से कम हैं
अगर सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में पर्याप्त निवेश नहीं होगा तो उसका स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच पर, और उसके नतीजतन, स्वास्थ्य संकेतकों पर नकारात्मक परिणाम हो सकता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 ने प्रस्तावित किया था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य पर समग्र सरकारी व्यय (केंद्र और सरकार संयुक्त रूप से) जीडीपी का 2.5% होना चाहिए। [10] आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय 2020-21 (वास्तविक) में जीडीपी का 1.6% था और 2022-23 (बअ) में जीडीपी का 2.1% अनुमानित था। [11]
राष्ट्रीय हेल्थ एकाउंट्स के अनुसार, 2018-19 में सामान्य सरकार (केंद्र और राज्य सरकारों का कुल) के व्यय का 4.8% स्वास्थ्य देखभाल के लिए आवंटित किया गया था। [12] डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि 2018-19 में स्वास्थ्य के लिए भारत का आवंटन मलयेशिया (8.5%), रूस (10.2%), ब्राजील (10.5%) और दक्षिण अफ्रीका (15.3%) जैसे अन्य देशों की तुलना में कम था। [13] यह आंकड़ा विकसित अर्थव्यवस्थाओं, जैसे युनाइटेड किंगडम (19.7%), युनाइडेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका (22.4%), और जर्मनी (20.1%) में बहुत अधिक है।
2023-24 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का अनुमानित व्यय 86,175 करोड़ रुपए है जो 2023-24 के लिए केंद्र सरकार के कुल व्यय का लगभग 2% है। यह 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 13% अधिक है।
प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में सुधार की जरूरत है
प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का उपचार, आवश्यक दवाएं प्रदान करना, मातृ एवं शिशु देखभाल, वैक्सीनेशन और अन्य निवारक उपाय शामिल हैं। [14] मुफ्त, व्यापक प्राथमिक देखभाल सुनिश्चित करना राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) का एक प्रमुख उद्देश्य है। 10 प्रभावी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को रोक सकती है या पूर्व कार्रवाई कर सकती है जिसका अर्थ है कि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य परिणामों में काफी सुधार किया जा सकता है। [15]
राज्यों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा तीन-स्तरीय प्रणाली के माध्यम से प्रदान की जाती है, जिसमें उप-केंद्र (एससी), प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र (सीएचसी) शामिल हैं। [16] 31 मार्च, 2022 तक पूरे भारत में 1,61,829 एससी, 31,053 पीएचसी और 6,064 सीएचसी थे। 16 भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस), 2022 के अनुसार जनसंख्या कवरेज के लिए प्रत्येक स्तर अधिकतम सीमा के अधीन है। [17] , [18] ग्रामीण स्वास्थ्य स्टैटिस्टिक्स 2021-22 के अनुसार, जहां एससी केंद्रों के तहत आने वाली जनसंख्या में सुधार हुए है, वहीं पीएचसी और सीएचसी में यह स्थिति और खराब हुई है। सभी तीन प्रकार के केंद्रों की संख्या जो वर्तमान में चालू हैं, इन सीमाओं के आधार पर लक्ष्यों से कम हैं; एससी में 25%, पीएचसी में 31% और सीएचसी में 36% की कमी है। जबकि केंद्रों की संख्या में वृद्धि हुई है, यह वृद्धि अनुमानित जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल नहीं रख पाई है।
तालिका 3: प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली का जनसंख्या कवरेज
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लक्ष्य |
2020-21 कवरेज |
2021-22 कवरेज |
% परिवर्तन |
एससी |
5,000 |
5,734 |
5,691 |
-0.7% |
पीएचसी |
30,000 |
35,602 |
36,049 |
1.3% |
सीएचसी |
1,20,000 |
1,63,298 |
1,64,027 |
0.4% |
स्रोत: ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2021-22, 2020-21; पीआरएस
केंद्रीय बजट 2017-18 में यह घोषणा की गई थी कि दिसंबर 2022 तक 1.5 लाख एससी और पीएचसी को स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) में बदल दिया जाएगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 ने एचडब्ल्यूसी बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जो प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को विस्तार प्रदान करेगा। 10 इनमें गैरिएट्रिक स्वास्थ्य देखभाल, पैलिएटिव देखभाल और पुनर्वास सेवाएं शामिल होंगी। 16 फरवरी, 2023 तक देश भर में 1.6 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र काम कर रहे हैं। [19]
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम एबीएचआईएम)
पीएम एबीएचआईएम के तहत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का विस्तार करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। [20] इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में एससी स्तर पर 17,788 एचडब्ल्यूसी और शहरी क्षेत्रों में 11,244 एचडब्ल्यूसी स्थापित करना शामिल है। इसके अलावा मिशन 3,382 ब्लॉक सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों, सभी जिलों में सार्वजनिक स्वास्थ्य लैब्स और 5 लाख से अधिक आबादी वाले सभी जिलों में क्रिटिकल केयर ब्लॉकों के निर्माण में मदद करता है। [21]
2021-22 से 2025-26 तक इस योजना का कुल परिव्यय 64,180 करोड़ रुपए है। [22] पीएम एबीएचआईएम के लिए धन का एक हिस्सा राज्यों को हस्तांतरित किया जाता है जोकि केंद्र प्रायोजित योजना का घटक है। 20 अन्य भाग, केंद्रीय क्षेत्र घटक, का उपयोग स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा सीधे स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे क्रिटिकल केयर ब्लॉकों की स्थापना के लिए किया जाता है। 20 2023-24 में केंद्र प्रायोजित योजना के घटक को 4,200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2022-23 के संशोधित अनुमान (1,885 करोड़ रुपए) से 123% अधिक है। 2022-23 में इस घटक के लिए आवंटन बजट स्तर पर 4,177 करोड़ रुपए से 55% कम करके संशोधित चरण में 1,885 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इन चरणों के बीच गिरावट केंद्रीय क्षेत्र के हिस्से के लिए और भी अधिक है जिसे संशोधित कर 979 करोड़ रुपए से 282 करोड़ रुपए कर दिया गया- 71% की गिरावट। यह धन का सही उपयोग करने की क्षमता की कमी को दर्शाता है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी भी लोगों को निजी स्वास्थ्य सेवाओं की ओर धकेलती है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75वें दौर में एकत्र किए गए 2017-18 के आंकड़ों से पता चलता है कि 42.5% बीमारियों का इलाज निजी क्लीनिकों में और 23.3% निजी अस्पतालों में किया जाता है। [23] निजी स्वास्थ्य सेवा अधिक महंगी हो जाती है और व्यक्तियों पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है (आगे विस्तार से चर्चा की गई)।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वित्त पोषण में वास्तविक रूप से गिरावट आई है
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में राज्यों की सहायता करता है। एनएचएम में दो उप-मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) और राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) शामिल हैं। एनएचएम के तहत, विशिष्ट स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लिए निर्देशित विशिष्ट सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया जाता है, जैसे कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी, स्वास्थ्य देखभाल पर आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) में कमी, और बीमारियों के प्रसार में कमी जैसे मलेरिया और काला अजार। राज्यों को दिशानिर्देशों के अंतर्गत यह चुनने की छूट दी गई है कि धनराशि का उपयोग कैसे किया जाए। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल स्वास्थ्य और किशोर (आरएमएनसीएच+ए) सेवाएं जैसे कार्यक्रम शामिल हैं जिसके तहत मातृ और नवजात स्वास्थ्य प्रदान किया जाता है, साथ ही बच्चों और किशोरों के लिए टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं। अन्य घटकों में बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों के संदर्भ में राज्यों की स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करना और संचारी और गैर-संचारी रोगों के लिए कार्यक्रमों को लागू करना शामिल है।
मार्च 2022 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया था कि एनएचएम के लिए आवंटन बढ़ाया जाए, चूंकि उसके उपयोग की दर उच्च है और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है। 28 कमिटी ने 2022-23 के संशोधित चरण में आवंटन में काफी बढ़ोतरी का सुझाव दिया था। हालांकि 2022-23 के संशोधित अनुमानों के अनुसार, आवंटन में केवल 0.4% (29,085 करोड़ रुपए) की वृद्धि की गई है। अनुमानित 6.4% वास्तविक जीडीपी वृद्धि को देखते हुए यह व्यय में गिरावट है। इस राशि का 76% हिस्सा एनआरएचएम और एनयूएचएम (22,095 करोड़ रुपए) के तहत आरसीएच और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए बने फ्लेक्सिबल पूल में आवंटित किया गया है। 23% बुनियादी ढांचे के रखरखाव (6,798 करोड़ रुपए) के लिए आवंटित किया गया है।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में कम निवेश स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित करता है
एनएचएम जैसी योजनाओं ने शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और एनीमिया की व्यापकता जैसे संकेतकों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए हैं। आंकड़े बताते हैं कि इन लक्ष्यों को अभी हासिल किया जाना बाकी है। आईएमआर शिशुओं की मृत्यु की वह संख्या है (उम्र में एक वर्ष से कम) जो प्रति 1000 जीवित जन्म पर होती है। आईएमआर किसी आबादी में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की प्रभावशीलता के लिए एक अपरिष्कृत मीट्रिक होता है। एनएचएम ने प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 25 से कम आईएमआर का लक्ष्य रखा है। [24] सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (2020) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में आईएमआर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 28 होने का अनुमान है। [25]
महिलाओं में एनीमिया पोषण और स्वास्थ्य का एक प्रमुख संकेतक है क्योंकि यह महिलाओं और बच्चों दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है लेकिन प्राथमिक देखभाल के माध्यम से इसका समाधान किया जा सकता है। [26] एनएफएचएस 2019-21 से पता चलता है कि 15 से 49 वर्ष के बीच की 53% महिलाओं को एनीमिया है जो इस आयु वर्ग के लिए 30% की वैश्विक दर से बहुत अधिक है। 13 , [27]
उपचार के लिए स्वास्थ्य सेवा अभी भी महंगी है
स्वास्थ्य देखभाल के लिए सरकार द्वारा केंद्र और राज्य स्तर पर, धर्मार्थ संस्थानों, या स्वयं व्यक्तियों द्वारा भुगतान किया जाता है। भारत में व्यक्तियों द्वारा व्यय का हिस्सा (जिसे आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय या ओओपीई के रूप में भी जाना जाता है) अन्य देशों की तुलना में अधिक है। स्वास्थ्य सेवा में सार्वजनिक निवेश की कमी के कारण निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं पर निर्भरता बढ़ी है जो आम तौर पर अधिक महंगे होते हैं। जबकि भारत में ओओपीई 2014 में कुल स्वास्थ्य व्यय के 64.2% से घटकर 2019 में 48.2% हो गया है, यह अभी भी काफी अधिक है। 11 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022-23) ने कहा है कि स्वास्थ्य पर आउट ऑफ पॉकेट खर्च के संबंध में भारत कुल 196 देशों में 176 स्थान पर है। [28]
रेखाचित्र 3: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से और ओओपीई के रूप में भुगतान किए गए कुल स्वास्थ्य व्यय का प्रतिशत
स्रोत: राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा, 2013-14 से 2018-19; पीआरएस
75वें दौर के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच आउट ऑफ पॉकेट खर्च में काफी अंतर आया है। 23 2017-18 में अस्पताल में भर्ती होने की औसत चिकित्सा लागत सरकारी अस्पतालों में 4,452 रुपए और निजी अस्पतालों में 31,845 रुपए थी। 23 ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों में प्रसव से इतर होने वाली भर्तियों की औसत आउट-ऑफ-पॉकेट लागत सरकारी अस्पतालों में 4,290 रुपए और निजी अस्पतालों में 27,347 रुपए थी। [29] सरकारी अस्पतालों में औसतन 4,837 रुपए और निजी अस्पतालों में 38,822 रुपए की औसत लागत के साथ ये आंकड़े शहरी क्षेत्रों में अधिक हैं। 23 व्यक्ति भी उधार के माध्यम से स्वास्थ्य व्यय का वित्तपोषण करते हैं। सर्वेक्षण से पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल में भर्ती होने के 13.4% और शहरी क्षेत्रों में 8.5% मामलों में व्यक्तियों ने उधार लेकर खर्चा पूरा किया है। 23
ओओपीई द्वितीयक और तृतीयक स्तर की देखभाल के लिए काफी अधिक हो सकता है। यह विशेष रूप से चिकित्सा देखभाल के मामले में है, जिसके लिए विशेष, पूंजी-गहन सुविधाओं की आवश्यकता होती है, जैसे कि कैंसर उपचार। स्वास्थ्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022-23) ने कहा था कि मरीज़ उच्च लागत के बावजूद निजी अस्पतालों में कैंसर का इलाज कराते हैं क्योंकि निजी क्षेत्र में ऐसे 200 अस्पतालों की तुलना में केवल 50 सार्वजनिक तृतीयक अस्पताल कैंसर का इलाज करते हैं। इसके अलावा आवश्यक उपकरणों की उच्च लागत के कारण रेडियोथेरेपी उपचार महंगा है। [30] चूंकि रेडियोथेरेपी में दवाओं का कोई इस्तेमाल नहीं होता है, उपचार शुल्क प्रभावी रूप से सेवा शुल्क होता है और राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) इसकी अधिकतम सीमा नहीं तय कर सकता। 30 कमिटी ने सुझाव दिया था कि कैंसर के उपचार में ओओपीई के स्तर को कम करने के लिए निजी अस्पतालों के कैंसर केंद्रों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के लाभार्थियों हेतु 25% आरक्षण किया जाए, साथ ही सरकार द्वारा संचालित ऑन्कोलॉजी उपचार का विस्तार किया जाए। 30
सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा सभी उपचार लागतों को कवर नहीं करता है
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसका उद्देश्य ओओपीई को कम करना है। यह योजना सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना, 2011 (एसईसीसी) का उपयोग करके चिन्हित मानदंडों के आधार पर परिवारों को पांच लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान करती है। इन मानदंडों के अनुसार, पात्र आबादी में 13 करोड़ परिवार होने का अनुमान है, जिसमें 65 करोड़ व्यक्ति शामिल हैं। [31] , [32] मानदंड में व्यवसाय, आश्रय तक पहुंच और अन्य जनसांख्यिकीय कारक शामिल हैं। इस योजना का लाभ एम्पैनल्ड अस्पतालों में लिया जा सकता है, और पात्र परिवारों में से प्रत्येक को आयुष्मान कार्ड नाम के यूनीक आईडी के साथ एक ई-कार्ड प्राप्त होता है। [33] , [34]
तालिका 4: पीएम-जेएवाई की वर्षवार प्रगति
|
जनरेट किए गए आयुष्मान कार्डों की संख्या |
एम्पैनल किए गए अस्पतालों की संख्या |
जारी की गई धनराशि (करोड़ रुपए) |
2019-20 |
4,80,71,333 |
8,331 |
2,993 |
2020-21 |
3,22,36,112 |
2,543 |
2,544 |
2021-22 |
2,37,34,262 |
3,273 |
2,941 |
2022-23 |
4,23,17,571 |
12,108 |
4,030 |
नोट: 2022-23 के आंकड़े दिसंबर 2022 तक के हैं।
स्रोत: लोकसभा अतारांकित प्रश्न संख्या 620, जिसका उत्तर 6 दिसंबर, 2022 को दिया गया, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय; पीआरएस।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा 2019 में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कुछ राज्यों में योजना के संबंध में पात्र आबादी पर्याप्त जागरूक नहीं है। [35] 2022 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने यह सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने का सुझाव दिया था कि पात्र लाभार्थी योजना का लाभ उठा सकें। 28 कमिटी ने योजना की पहुंच का मुद्दा भी उठाया, यह देखते हुए कि एसईसीसी डेटा पुराना होने की आशंका है और यह सुझाव भी दिया कि लाभार्थियों की सूची का विस्तार किया जाए। एनएचए (2019) के तहत एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि हालांकि इस योजना का उद्देश्य द्वितीयक और तृतीयक स्तर की सेवा के लिए मुफ्त उपचार प्रदान करना है, लेकिन पीएमजेएवाई पोर्टल (जिसके माध्यम से डिस्चार्ज प्रक्रिया आयोजित की जाती है) के साथ तकनीकी समस्याएं हैं, और अक्सर कई तरह की चिकित्सा देखभाल पीएमजेएवाई के तहत नहीं आती। इस कारण रोगियों को आउट ऑफ पॉकेट भुगतान करना पड़ता है। [36]
2022 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने गौर किया कि पीएमजेएवाई के लिए निर्धारित धन का कम उपयोग हुआ है। इसके बावजूद योजना के लिए आवंटन में वृद्धि हुई है, और समिति ने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय योजना के तहत धन के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उपाय करे। 2023-24 में पीएमजेएवाई के लिए 7,200 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 12% अधिक है। उल्लेखनीय है कि 2023-24 में पीएमजेएवाई के लिए आवंटन वास्तव में 2020-21 (2,681 करोड़ रुपए) और 2021-22 (3,116 करोड़ रुपए) में खर्च की गई राशि से काफी अधिक है, जब कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में काफी वृद्धि हुई थी।
प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए अपर्याप्त कर्मचारी
भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) की तुलना में भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में कर्मचारियों की बहुत अधिक कमी है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (2022) के आंकड़ों से पता चलता है कि पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80% उपलब्धता मानते हुए भारत ने प्रति 1,000 जनसंख्या पर डॉक्टरों की संख्या के लिए डब्ल्यूएचओ के लक्ष्य को पार कर लिया है। [37] हालांकि, ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2020-21 (नवीनतम उपलब्ध डेटा) प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली में डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मचारियों की कमी को दर्शाता है। [38] पीएचसी में फार्मासिस्टों, लैब तकनीशियनों और स्वास्थ्य सहायकों सहित कर्मचारियों की कई श्रेणियों में बहुत अधिक कमियां है। 16
तालिका 5: पीएचसी में कर्मचारियों की कमी
पद |
प्रति आईपीएचएस पर अपेक्षित (#) |
कमीl (#) |
कमी (%) |
डॉक्टर |
24,935 |
776 |
3% |
फार्मासिस्ट |
24,935 |
5,969 |
24% |
लैब तकनीशियन |
24,935 |
10,434 |
42% |
नर्सिंग स्टाफ (स्टाफ नर्स) |
24,935 |
4,211 |
17% |
स्रोत: ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी 2020-21, 2019-20; पीआरएस।
एससी में 66% स्वास्थ्य कर्मियों (पुरुष) की कमी है। सीएचसी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का पहला स्तर है जिसमें रोगियों की विशेषज्ञों तक पहुंच होती है, जिसमें सर्जन, चिकित्सक, बाल रोग विशेषज्ञ, प्रसूति विशेषज्ञ और स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल हैं। इन विशेषज्ञों में लगभग 80% की कमी है। 16 अपेक्षित पदों के लिहाज से विशेषज्ञों की कमी बिहार (89%), मध्य प्रदेश (85%), और गोवा (83%) में सबसे अधिक है। 16 यह केरल, मेघालय, सिक्किम और मिजोरम में सबसे कम है, जहां सभी पद भरे गए हैं। 16 बजट भाषण 2023-24 के अनुसार, 157 नर्सिंग कॉलेज स्थापित किए जाने हैं और इन्हें मौजूदा मेडिकल कॉलेजों से जोड़ा जाएगा। 2023-24 में नर्सिंग सेवाओं (नर्सिंग शिक्षा को उन्नत करने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना) के विकास के लिए आवंटन को 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 34% बढ़ाकर 33 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
एम्स, स्वायत्त संस्थान और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई)
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) का उद्देश्य तृतीयक देखभाल प्रणाली में मानव संसाधन और शैक्षिक क्षमता की कमी को दूर करना है। [39] इसके तहत नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का निर्माण और सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड किया जाएगा। इस योजना के तहत 22 नए एम्स स्थापित किए जाएंगे जिनमें से छह चालू हैं। [40]
2018 में कैग ने 2003 से 2017 के दौरान योजना का ऑडिट किया। यह पाया गया कि इस योजना में दिशानिर्देशों के नियोजन में कमी है, पांच साल की देरी है, फैकेल्टी के पद रिक्त हैं, और अस्पताल में बिस्तरों की कमी है। इस कारण योजना पर असर हुआ है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (2022-23) ने पाया कि 2021-22 के संशोधित अनुमानों के अनुसार आवंटित धन का लगभग 77% उपयोग किया गया था। [41] कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उपाय करे, जैसे कि साल भर उपयोग की योजना बनाना, और प्रगति की निगरानी करना। 41 हालांकि कमिटी ने अभाव ग्रस्त क्षेत्रों में योजना के महत्व पर जोर दिया।
2023-24 में पीएमएसएसवाई को 3,365 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, और नए एम्स के स्थापना व्यय के लिए नई बजट मद के तहत 6,835 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह कुल 10,200 करोड़ रुपए है, जो 2022,23 (8,270 करोड़ रुपए) के संशोधित अनुमानों से 23% अधिक है।
रेखाचित्र 4: पीएमएसएसवाई और नए एम्स के लिए आवंटन (करोड़ रुपए में)
कोविड-19 पर व्यय 2020 और 2022 के बीच मंत्रालय को वैक्सीन के विकास और कार्यान्वयन सहित कोविड-19 महामारी के प्रबंधन हेतु अधिक धनराशि आवंटित करनी पड़ी। हालांकि कोविड मामलों की संख्या में गिरावट, मृत्यु दर में कमी और पात्र लाभार्थियों के अनुमानित 90% का पूरी तरह से टीकाकरण होने के कारण, कोविड-19 संबंधित कार्यक्रमों के लिए आवंटन में काफी कमी आई है। 2021-22 में कोविड-19 इमरजेंसी रिस्पांस और हेल्थ सिस्टम प्रिपेयरनेस पैकेज पर 14,333 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2023-24 में इसे घटाकर 2 करोड़ रुपए कर दिया गया है। 2021-22 में वैक्सीनेशन कार्यक्रम पर 35,438 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2022-23 के संशोधित अनुमान के अनुसार वैक्सीनेशन पर 967 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 2023-24 में वैक्सीनेशन के लिए 10 लाख रुपए की सांकेतिक राशि आवंटित की गई है। तालिका 6: वर्ष दर वर्ष उपचारित/अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले और मृत्यु के मामले (लगभग)
नोट: 6 दिसंबर, 2022 तक के कुल आंकड़े से 2020 और 2021 में कुल मौतों को घटाकर 2022 में मौतों की संख्या का अनुमान लगाया गया है। स्रोत: लोकसभा अतारांकित प्रश्न संख्या 955, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, 22 जुलाई, 2022; लोकसभा अतारांकित प्रश्न संख्या 658, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, 9 दिसंबर, 2022; पीआरएस। |
स्रोतः अनुदान की विस्तृत मांगें, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, 2010-11 से 2023-24; पीआरएस।
स्वास्थ्य अनुसंधान में निवेश की कमी
स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह विभाग भारत में टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए जिम्मेदार है। [42] 2022 में स्वास्थ्य संबंधी स्टैंडिंग कमिटी ने सुझाव दिया था कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग को जीडीपी का कम से कम 0.1% पांच वर्ष के लिए आवंटित किया जाए, यह निर्दिष्ट करते हुए कि यह आवंटन कुल स्वास्थ्य बजट का 5% होना चाहिए। 42 यह भविष्य में किसी भी महामारी के प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा और क्षमता बनाने में मदद करेगा।2 2022 में कमिटी ने कहा कि युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका जैसे देश स्वास्थ्य अनुसंधान पर अपनी जीडीपी का 2% तक खर्च करते हैं। [43]
2023-24 में विभाग को 2,980 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो मंत्रालय के बजट का 3% और सकल घरेलू उत्पाद का 0.01% है। स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवंटन 2022-23 संशोधित अनुमान के 152 करोड़ रुपए से घटकर 2023-24 बजट अनुमान में 150 करोड़ रुपए हो गया है।
स्टैंडिंग कमिटी (2022) ने यह भी कहा कि विभाग मानव संसाधन क्षमता की कमी के कारण आंशिक रूप से बजट का उपयोग नहीं कर सका। कोविड-19 महामारी के प्रबंधन से जुड़ी समस्या का एक कारण मानव संसाधन की कमी था। [44] उसने सुझाव दिया कि विभाग फंड के बेहतर उपयोग के लिए अपनी क्षमता का विस्तार करे। 44 मानव संसाधन और क्षमता विकास के लिए आवंटन 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 9% बढ़कर 2023-24 में 92 करोड़ रुपए हो गया है।
डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी इको-सिस्टम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 में एक 'डिजिटल टेक्नोलॉजी इको-सिस्टम' स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है जिसके माध्यम से इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की दक्षता बढ़ाने के लिए किया जाएगा। इसमें चिकित्सा जानकारी के संग्रह, स्टोरेज और साझा करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, मानकों, डेटाबेस और गवर्नेंस फ्रेमवर्क का विकास शामिल है। 10
राष्ट्रीय डिजिटल मिशन (एनडीएचएम) में प्रत्येक नागरिक को अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को एक कंसॉलिटेड डेटाबेस में डिजिटल रूप से स्टोर करने की सुविधा प्रदान की गई है जोकि मेडिकल उपचार तक आसान पहुंच उपलब्ध कराता है। [45] इस योजना के तहत रोगियों को एक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) नंबर दिया जा सकता है जो विशिष्ट रूप से उनके मेडिकल रिकॉर्ड की पहचान करेगा। 45 13 फरवरी, 2023 तक 32 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं, और 22 करोड़ से अधिक मेडिकल रिकॉर्ड को डेटाबेस से जोड़ा गया है। [46] एबीडीएम के लिए प्रस्तावित आवंटन 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 144% बढ़कर 2023-24 में 341 करोड़ रुपए हो गया है।
अनुलग्नक
तालिका 7: 2023-24 के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का आवंटन (करोड़ रुपए में)
प्रमुख मदें |
2021-22 वास्तविक |
2022-23 बअ |
2022-23 संअ |
2023-24 बअ |
2022-23 संअ और 2023-24 बअ के बीच परिवर्तन का % |
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन |
27,448 |
28,860 |
28,974 |
29,085 |
0% |
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के तहत स्वायत्त निकाय (जैसे एम्स, पीजीआईएमईआर और जिपमर) |
8,459 |
10,022 |
10,348 |
17,323 |
67% |
आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) |
3,116 |
6,412 |
6,412 |
7,200 |
12% |
नए एम्स का स्थापना व्यय |
|
|
|
6,835 |
|
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएमएबीएचआईएम) |
761 |
5,156 |
2,167 |
4,846 |
124% |
सीजीएचएस पेंशनरों का चिकित्सा उपचार (पीओआरबी) |
2,741 |
2,645 |
4,640 |
3,846 |
-17% |
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) |
9,270 |
10,000 |
8,270 |
3,365 |
-59% |
राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम |
2,126 |
3,027 |
2,182 |
3,080 |
41% |
आईसीएमआर |
1,841 |
2,198 |
2,117 |
2,360 |
11% |
वैधानिक और नियामक निकाय |
308 |
335 |
636 |
639 |
1% |
परिवार कल्याण योजनाएं |
300 |
484 |
474 |
517 |
9% |
कोविड-19 |
16,445 |
226 |
228 |
497 |
118% |
स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए बुनियादी ढांचा विकास |
148.2 |
177 |
152 |
150 |
-1% |
अन्य |
11,508 |
16,658 |
12,546 |
16,248 |
30% |
कुल |
84,470 |
86,201 |
79,145 |
89,155 |
13% |
स्रोत: मांग संख्या 46 और 47, अनुदान की मांग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, केंद्रीय बजट, 2023-24; पीआरएस।
[1] “Constitution of the World Health Organisation”, World Health Organisation, July 22, 1946, https://apps.who.int/gb/bd/PDF/bd47/EN/constitution-en.pdf?ua=1.
[2] The Government of India (Allocation of Business) Rules, 1961, https://cabsec.gov.in/writereaddata/allocationbusinessrule/completeaobrules/english/1_Upload_3517.pdf.
[3] Demand No. 46, Department of Health and Family Welfare, Ministry of Health and Family Welfare, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe46.pdf; Demand No. 47, Department of Health Research, Ministry of Health and Family Welfare, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe47.pdf.
[4] Report No. 4 of 2020 – Financial Audit of Accounts of the Union Government for the year 2018-19, Comptroller and Auditor General of India, August 4, 2020, https://cag.gov.in/webroot/uploads/download_audit_report/2020/Report%20No.%204%20of%202020_Eng-05f808ecd3a8165.55898472.pdf.
[5] Report No. 7 of 2021, – Financial Audit of Accounts of the Union Government for the year 2019-20, Comptroller and Auditor General of India, July 16, 2021, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2021/Report%20No.%207%20of%202021_English_(12-7-2021)-061a4c5a0ceebc7.43031638.pdf.
[6] S.O. 1220(E), Ministry of Health And Family Welfare, Match 15, 2021, https://egazette.nic.in/WriteReadData/2021/225933.pdf.
[7] Tax Revenue, Receipt Budget 2023-24; https://www.indiabudget.gov.in/doc/rec/allrec.pdf.
[8] Demand No 46, Ministry of Health and Family Welfare, Expenditure Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/doc/eb/sbe46.pdf.
[9] Report No. 31 of 2022 – Financial Audit of Accounts of the Union Government for the year 2020-21, Comptroller and Auditor General of India, December 21, 2022, https://cag.gov.in/uploads/download_audit_report/2022/DSC-Report-No.-31-of-2022_UGFA-English-PDF-A-063a2f3ee1c14a7.01369268.pdf.
[10] National Health Policy, 2017, https://www.nhp.gov.in/nhpfiles/national_health_policy_2017.pdf.
[11] Chapter 6, “Social Infrastructure and Employment: Big Tent", Economic survey 2022-23, Union Budget 2023-24, https://www.indiabudget.gov.in/economicsurvey/doc/eschapter/echap06.pdf.
[12] National Health Accounts Estimates for India 2018-19, Ministry of Health and Family Welfare, https://nhsrcindia.org/sites/default/files/2022-09/NHA%202018-19_07-09-2022_revised_0.pdf.
[13] “World Health Statistics 2022”, World Health Organisation, May 19, 2022, https://www.who.int/publications/i/item/9789240051157.
[14] National Health Profile 2021, Ministry of Health and Family Welfare, https://www.cbhidghs.nic.in/showfile.php?lid=1160.
[15] Chapter 5, “Healthcare takes centre stage, finally!”, Economic Survey 2020-21 Volume I, Ministry of Finance, https://www.indiabudget.gov.in/budget2021-22/economicsurvey/doc/vol1chapter/echap05_vol1.pdf.
[16] Rural Health Statistics, 2021-22, https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/RHS%202021%2022.pdf.
[17] Indian Public Health Standards 2022, Volume-IV: Health and Wellness Centre-Sub Health Centre, Ministry of Health and Family- Welfare, https://nhm.gov.in/images/pdf/guidelines/iphs/iphs-revised-guidlines-2022/04-SHC_HWC_UHWC_IPHS_Guidelines-2022.pdf.
[18] Indian Public Health Standards 2022, Volume-II: Community Health Centre, , Ministry of Health and Family Welfare, https://nhm.gov.in/images/pdf/guidelines/iphs/iphs-revised-guidlines-2022/02-CHC_IPHS_Guidelines-2022.pdf.
[19] “Ayushman Bharat - Health and Wellness Centres Report Card”, Ayushman Bharat - Health and Wellness Centre, Ministry of Health and Family Welfare, https://ab-hwc.nhp.gov.in/#about (accessed February 6, 2023)
[20] Operational Guidelines for Pradhan Mantri Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission, Ministry of Health and Family Welfare, October 2021, https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/Operational%20Guideline%20%28CSS%20Component%29_PM-ABHIM.pdf.
[21] Rajya Sabha Unstarred Question No. 2176 , Department of Health and Family Welfare, Ministry of Health and Family Welfare, March 22, 2022, https://pqars.nic.in/annex/256/AU2176.pdf
[22] Rajya Sabha Unstarred Question No. 2176, Ministry of Health and Family Welfare, March 22, 2022, https://pqars.nic.in/annex/256/AU2176.pdf.
[23] "Key Indicators of Social Consumption in India: Health, NSS 75th Round (July 2017 – June 2018)", National Statistical Office, Ministry of Statistics and Programme Implementation, November, 2019, http://164.100.161.63/sites/default/files/publication_reports/KI_Health_75th_Final.pdf.
[24] “More Information”, National Health Mission, Ministry of Health and Family Welfare, https://nhm.gov.in/images/pdf/NHM/NHM_more_information.pdf.
[25] Sample Registration System (Srs)-Bulletin 2020, Volume 55-I, Office of the Registrar General & Census Commissioner, India (ORGI), May 25, 2022, https://censusindia.gov.in/nada/index.php/catalog/42687.
[26] “Global Nutrition Targets 2025: Anaemia Policy Brief”, WHO, https://www.who.int/publications/i/item/WHO-NMH-NHD-14.4.
[27] "National Family Health Survey (NFHS-5), Compendium of Fact Sheets India and 14 States/UTs (Phase-11)", Ministry of Health and Family Welfare, https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/NFHS-5_Phase-II_0.pdf.
[28] Report No. 134 of the Standing Committee on Health and Family Welfare, on “Demands for Grants 2022-23 (Demand No. 46) of the Department of Health and Family Welfare”, Rajya Sabha, March 24, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/14/160/134_2022_3_15.pdf
[29] “Executive Summary on Report- Health in India, NSS 75th round”, Ministry of Statistics and Programme Implementation, http://164.100.161.63/announcements/executive-summary-report-health-india-nss-75th-round.
[30] Report No. 139 of the Standing Committee on Health and Family Welfare, on “Cancer Care Plan & Management: Prevention, Diagnosis, Research & Affordability of Cancer Treatment”, Rajya Sabha, September 12, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/14/160/139_2022_9_17.pdf.
[31] Lok Sabha Unstarred question No. 620, December 9, 2022, Ministry of Health and Family Welfare, https://pqals.nic.in/annex/1710/AU620.pdf.
[32] Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana Annual Report 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, https://nha.gov.in/img/resources/Annual-Report-2020-21.pdf.
[33] “Guidelines on Hospital Empanelment and De-Empanelment: Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana”, National Health Authority, July 2022, https://pmjay.gov.in/sites/default/files/2022-09/OM%20with%20Revised%20Hospital-Empanelment-Guidelines-July%2022.pdf.
[34] “Beneficiary Identification Guidelines: Ayushman Bharat – Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana (PM-JAY), https://www.pmjay.gov.in/sites/default/files/2018-07/GuidelinesonProcessofBeneficiaryIdentification_0.pdf.
[35] “Accessing Ayushman Bharat- Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana (PM-JAY): A case study of three states (Bihar, Haryana and Tamil Nadu), Umakant Dash, V. R. Muraleedharan, and Rajesh M., National Health Authority, https://pmjay.gov.in/sites/default/files/2021-05/Working%20paper%20006-%20A%20case%20study%20of%20three%20states%20under%20AB%20PM-JAY.pdf.
[36] “Improving Hospital‐Based Processes For Effective Implementation of PMJAY: Evidence From Early Implementation”, Mayur Trivedi, Anurag Saxena, Dileep Mavalankar, Manas Sharma, National Health Authority, https://pmjay.gov.in/sites/default/files/2021-05/Working%20paper%20007-%20Improving%20Hospital%20-%20Based%20Processes%20for%20Effective%20Implementation%20of%20PM-JAY%20%281%29.pdf.
[37] Rajya Sabha Unstarred Question No. 1039, July 26, 2022, Ministry of Health and Family Welfare, https://pqars.nic.in/annex/257/AU1039.pdf.
[38] “Health Workforce Requirements for Universal Health Coverage and the Sustainable Development Goals”, World Health Organisation, 2016, https://apps.who.int/iris/bitstream/handle/10665/250330/9789241511407-eng.pdf.
[39] Guidelines for Implementation of Pradhan Mantri Swasthya Surakhsa Yojana (PMSSY) Scheme, Ministry of Health and Family Welfare, https://pmssy-mohfw.nic.in/files/Draft%20Guidelines%20for%20PMSSY%20Scheme.pdf.
[40] “About Scheme”, Pradhan Mantri Swasthya Suraksha Yojana, Ministry of Health and Family Welfare, last accessed February 9, 2023, https://pmssy-mohfw.nic.in/index1.php?lang=1&level=1&sublinkid=81&lid=127.
[41] Report No. 140, Standing Committee on Health and Family Welfare: “Action Taken by Government on the Recommendations/Observations Contained in the One Hundred Thirty Fourth Report on Demands for Grants 2022-23 (Demand No. 46) of the Department of Health and Family Welfare,” December 8, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/committee_site/committee_file/reportfile/14/160/140_2022_12_12.pdf.
[42] Report No. 141, Standing Committee on Health and Family Welfare: “Action Taken by Government on the Recommendations/ Observations Contained in the 135th Report on Demands for Grants 2022-23 (Demand No. 47) of the Department of Health Research, Ministry of Health & Family Welfare”, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/14/160/141_2022_12_12.pdf.
[43] Report No. 135, Standing Committee on Health and Family Welfare: “Demands For Grants 2022-23 (Demand No. 47) of the Department of Health Research: https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/14/160/135_2022_8_10.pdf.
[44] Report No. 135, Standing Committee on Health and Family Welfare, on “Demands For Grants 2022-23 (Demand No. 47) of the Department of Health Research”, March 24, 2022, https://rajyasabha.nic.in/rsnew/Committee_site/Committee_File/ReportFile/14/160/135_2022_8_10.pdf.
[45] “Background”, Ayushman Bharat Digital Mission (ABDM), National Health Authority, last accessed on December 27, 2022 https://abdm.gov.in/abdm.
[46] “ABDM Insight”, Ayushman Bharat Digital Mission, National Health Authority, Ministry of Health and Family Welfare, last accessed February 13, 2023, https://dashboard.abdm.gov.in/abdm/.
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